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प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर

प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर भारतीय पुरुषों में सबसे आम 10 कैंसर में से एक है। हालांकि, यह धीमी गति से बढ़ने वाले कैंसर में से एक है और नियमित स्क्रीनिंग (जांच) टेस्ट से आप इसके जोखिम को कम कर सकते हैं।

अवलोकन

प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो पुरुषों में प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) जो मूत्राशय के पास स्थित अखरोट के आकार की छोटी ग्रंथि होती है, उसमें विकसित होता है। प्रोस्टेट ग्रंथि (पौरुष ग्रंथि) शुक्राणुओं का पोषण करने वाले प्रोस्टेटिक द्रव का उत्पादन करती है। यह प्रोस्टेटिक द्रव पदार्थ वीर्य पुटिकाओं के द्रव पदार्थ के साथ मिलकर वीर्य बनाता है जो शुक्राणुओं को स्थानांतरित करता है।

प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर भारतीय पुरुषों में सबसे आम 10 कैंसर में से एक है। हालांकि, यह धीमी गति से बढ़ने वाले कैंसर में से एक है और नियमित स्क्रीनिंग (जांच) टेस्ट से आप इसका प्रारंभिक चरणों में निदान कर सकते हैं और इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित भी किया जा सकता है।

एचसीजी में भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर विशेषज्ञ हैं जिन्हें अनुकूलित और परिणाम-उन्मुख उपचार योजनाओं के साथ प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर का इलाज करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है जिससे सकारात्मक नैदानिक ​​परिणाम सामने आते हैं।


लक्षण

प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है, और शुरुआती चरणों में लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं। प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर से जुडे हुए लक्षण निम्नलिखित है :

  • बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में
  • मूत्र प्रवाह में बाधा होना
  • पेशाब या वीर्य में खून आना
  • इरेक्टल डिस्फंगक्शन (स्तंभन दोष) की नई शुरुआत होना
  • वीर्यपात होते समय दर्द होना
  • पेशाब के दौरान दर्द या जलन
  • बढ़े हुए प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) के कारण बैठने में असुविधा या दर्द

कारण

प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर के सटिक कारण ज्ञात नहीं है। हालांकि, कई कारक प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ाते हैं। प्रमुख जोखिम कारकों में शामिल हैं :

निदान

प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर के लिए स्क्रीनिंग (जांच) करना प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर के जोखिम को कम करने या प्रारंभिक अवस्था में इसका पता लगाने में मदद कर सकती है। जिन पुरुषों का प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर का सकारात्मक पारिवारिक इतिहास होता है और जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है उन पुरूषों को हर साल प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर की स्क्रीनिंग (जांच) का विकल्प चुनने की सिफारिश कि जाती है। स्क्रीनिंग (जांच) में निम्नलिखित में से एक या अधिक परीक्षण शामिल हो सकते हैं :

इलाज

प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर का उपचार विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे कैंसर के बढ़ने की दर, कैंसर की अवस्था, मरीज़ की कुल स्वास्थ्य स्थिति और मरीज़ की प्राथमिकताएं। यह धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर होने के कारण, प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर के कुछ मामलों में तत्काल उपचार की आवश्यकता नहीं हो सकती है। इन मामलों में, सक्रिय निगरानी और अवलोकन के माध्यम से प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर का प्रबंधन किया जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर भारतीय पुरुषों में सबसे आम 10 कैंसर में से एक है। पुरुषों में प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर होने का खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है। हालांकि, जागरूकता और नियमित जांच से इसकी घटनाओं को कम करने में मदद मिल सकती है।

व्यापक निदान के माध्यम से आपके प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर की प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। यदि आपके डॉक्टर सोचते है कि तत्काल उपचार आवश्यक नहीं है, तो आपको निगरानी या सक्रिय निगरानी में रखा जा सकता है, जिसके दौरान आपको मेटास्टेसिस या किसी अन्य जटिलताओं के लक्षणों के लिए नियमित परीक्षण और लगातार निगरानी करने के लिए कहा जाएगा।यदि परीक्षणों के परिणाम चिंताजनक होते हैं, तो रोग के कुशल प्रबंधन के लिए डॉक्टर तत्काल उपचार योजना का सुझाव दे सकता है।

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर का खतरा बढ़ता जाता है। इसलिए, 50 साल और उससे अधिक उम्र के पुरुषों के लिए हर साल प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर की जांच कराने की सिफारिश की जाती है। आपके पहले स्क्रीनिंग टेस्ट (जांच) के परिणामों के आधार पर, आपके डॉक्टर स्क्रीनिंग टेस्ट (जांच) की आवृत्ति बदल सकते है।

नहीं, उच्च पीएसए स्तर हमेशा प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर की ओर इशारा नहीं करते हैं। सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) जैसी कम गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण भी पीएसए स्तर अधिक हो सकता है। इसलिए, यदि पीएसए स्तर अधिक पाया जाता है, तो प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर के निदान की पुष्टि के लिए अतिरिक्त परीक्षणों की आवश्यकता होती है।

कुछ उपचारों से दर्द हो सकता है, यह दर्द अस्थायी होता है और समय के साथ कम हो जाता है। दर्द की सीमा कैंसर के उस चरण पर भी निर्भर हो सकती है जिसका इलाज किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर जो हड्डियों में फैल गया है उसके लिए दि जाने वाली रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा), दर्द का कारण बन सकती है; हालाँकि, यह सभी मरीज़ों के मामले में नहीं हो सकता है। उपचार से पहले डॉक्टर से बात करना हमेशा बेहतर होता है, जो आपको बताएंगे कि प्रशासित उपचारों से क्या उम्मीद की जाए और उनके लिए कैसे तैयारी की जाए।

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